मुगलई दाल सेहत के लिए पौष्टिक स्वाद में बेमिसाल साबुत मूंग अंडा बटर एवं देसी घी का अनोखा संगम जिसको खाकर आप तृप्त हो जाएंगे जिसे इस विधि से आप अपने घर में बनाएंगे
मुगलई दाल का परिचय
मुगलई दाल एक शाही और समृद्ध स्वाद वाली दाल है, जो भारत की मुगल कालीन रसोई से निकली एक खास रेसिपी मानी जाती है। इसमें मसालों और क्रीमी टच का संतुलन होता है, जो इसे आम दालों से अलग बनाता है। यह दाल स्वाद में बेहद रिच, मखमली और सुगंधित होती है — जिसमें घी, मलाई, सूखे मेवे और गरम मसालों का भरपूर उपयोग होता है।
यह दाल ज़्यादातर दाल मखनी या दाल बुखारा जैसी होती है लेकिन उसमें थोड़ी और ज्यादा richness और royal touch जुड़ा होता है। इसे पारंपरिक रूप से तंदूरी रोटी, नान या जीरा राइस के साथ परोसा जाता है।
मुग़लई दाल का इतिहास
मुग़लई दाल का इतिहास भारत में मुग़ल साम्राज्य के शासन काल (लगभग 1526–1857) से जुड़ा हुआ है। जब बाबर, हुमायूं, अकबर, जहाँगीर और शाहजहाँ जैसे सम्राट भारत आए, तो उन्होंने अपने साथ मध्य एशिया, फारस और अफगानिस्तान के शाही पकवानों की रसोई भी भारत में लाकर स्थापित की।
इन पकवानों में खास बात यह थी कि:
दालें सिर्फ साधारण खाना नहीं थीं, बल्कि उन्हें भी शाही अंदाज़ में पकाया जाता था।
दालों को मलाई, घी, सूखे मेवे (काजू, बादाम), और विशेष मसालों के साथ धीमी आँच पर पकाया जाता था।
उस समय की रसोइयों में “खानसामाओं” द्वारा बनाए गए व्यंजन इतने शानदार होते थे कि उनमें आम दालें भी राजसी व्यंजन बन जाती थीं।
मुग़लई दाल की उत्पत्ति:
उड़द दाल (black gram) को मुगल रसोई में विशेष स्थान मिला, क्योंकि यह दाल गाढ़ी, मलाईदार और स्वाद से भरपूर होती है।
मुगल काल में यह दाल त्योहारों, दावतों और शाही भोज में परोसी जाती थी।
खासकर लाल किले और आगरा के किलों की रसोई में इस दाल को बार-बार अलग-अलग संस्करणों में तैयार किया जाता था।
मुग़लई दाल और संस्कृति:
मुग़लई दाल सिर्फ एक भोजन नहीं, बल्कि भारत में सांस्कृतिक मिश्रण का प्रतीक है — जहाँ भारतीय दालें, फारसी तकनीक और अफगानी मसाले एक साथ मिलते हैं।
आज भी लखनवी, दिल्ली और हैदराबादी रसोई में इस शैली की दाल को पारंपरिक तरीकों से बनाया जाता है।
Table of Contents


मुगलई दाल
Ingredients
- 400 ग्राम साबुत मूंग
- 50 ग्राम लहसुन
- 8 पीस कच्चा अंडा
- 50 ग्राम बटर
- 50 ग्राम देसी घी
- 100 ग्राम टमाटर
- 100 ग्राम प्याज
- 50 ग्राम धनिया पत्ता
- 50 ग्राम सफेद उड़द दाल
- 1.5 चम्मच गरम मसाला
- 1 चम्मच कश्मीरी मिर्च
- 1/2 चम्मच हल्दी पाउडर
- 1 कप गर्म दूध
- 1 पीस साबुत सुपारी
- 2 चम्मच रिफाइंन तेल
- 25 ग्राम अदरक
- 1 चम्मच लाल मिर्च पाउडर
- नमक स्वाद अनुसार
Instructions
मुगलई दाल बनाने की विधि:-
Step 1
- मुगलई दाल बनाने के लिए सबसे पहले साबुत मूंग को छलनी से छानकर उसमें के धूल कण को हटा दे, मूंग में दो चम्मच रिफाइन तेल डालकर हाथ से मिला ले।
Step 2
- अब चूल्हा जलाकर कराही चढ़ा दे कराही को गर्म होने दे जब कराही गर्म हो जाए तब एक चम्मच कराही में नमक डालें फिर रिफाइन लगे मुंह डालकर भूने, तब तक भूने जब तक उसका रंग भूरा न हो जाए जब रंग भूरा हो जाए तब इसे निकाल कर एक बर्तन में रख ले, फिर कराही में उड़द दाल डालकर भूने और चूल्हा को बंद कर दे उड़द दाल अलग निकाल कर एक बर्तन में रख ले।
Step 3
- दाल जब ठंडा हो जाए तब एक प्रेशर कुकर में 2 से 2.5 लीटर पानी डालकर भुने हुए मुंग और भुने हुए उड़द दाल के साथ एक चुटकी हल्दी,एक चम्मच नमक और आधा चम्मच देसी घी डालकर कुकर के ढक्कन बंद कर दे।
Step 4
- चूल्हा जलाकर प्रेशर कुकर उस पर चढ़ाकर 5 से 6 सीटी बजने के लिए छोड़ दें।
Step 5
- इसी बीच में टमाटर को पानी से धोकर बाड़ीक काट ले, अदरक को छीलकर बारीक काट ले, प्याज को छीलकर बारीक काट ले, लहसुन को छीलकर बारीक काट ले, धनिया पत्ता को पानी से धोकर बड़ी काट ले।
Step 6
- काली मिर्च पाउडर,हल्दी पाउडर,लाल मिर्च पाउडरपानी मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट बनाकर एक अलग बर्तन में रख ले।
Step 7
- आब प्रेशर कुकर में 5 से 6 सिटी लग चुका है तो चूल्हा पर से उतार कर प्रेशर कुकर को ठंडा होने के लिए अलग रख दे।
Step 8
- अब चूल्हा पर फ्राई पैन चढ़ाए जब फ्राईपैन गर्म हो जाए तब दो चम्मच तेल डालें जब तेल गर्म हो जाए तब 8 अंडे में से 6 अंडे को फोड़कर फ्राई पैन में डालें, स्वाद अनुसार इसमें नमक डालें, अब चम्मच से अंडा को हिला हिला कर तोड़कर बुरादा बना ले,अंडे के बुरादा को निकाल कर अलग रख ले।
Step 9
- अब फ्राई पैन को उतार कर अब कराही चढ़ाए आँच को धीमी कर दें, जब कराही गर्म हो जाए तब इसमें देसी घी को डालें देसी घी को गर्म होने दे जब देसी घी गर्म हो जाए तब प्याज और लहसुन डालकर प्याज के रंग सुनहरा होने तक भूने जब प्याज का रंग सुनहरा हो जाए तब इसमें काली मिर्च पाउडर हल्दी पाउडर लाल मिर्च पाउडर के तैयार पेस्ट को डालकर चम्मच से चलाएं जब मसाला अच्छा से भून जाए तब इसमें गर्म दूध डालकर एक से दो मिनट तक पकने दे।
Step 10
- अब बाकी बच्चे दो अंडे को फोड़कर इसमें डालकर चलाएं अब करही का मसाला अंडा के पेस्ट के तरह दिखने लगा है तब ठंडा हो चुके प्रेशर कुकर को खोल कर उसमें के उबले हुए दाल को कराही में डालकर चम्मच से चलाएं फिर कराही के ढक्कन ढककर 5 से 7 मिनट तक पकने दे।
Step 11
- 5 से 7 मिनट बाद ढक्कन को हटाकर उबले हुए दाल में कश्मीरी मिर्च और साबूत सुपारी को डाल दे फिर ढक्कन से ढक कर 12 से 15 मिनट तक पकने दे ढक्कन हटाकर अगर जरूरत महसूस करें तो गर्म पानी मिलाकर चलाएं।
Step 12
- अब ध्यान देना है की दाल अच्छी तरह पका है कि नहीं अगर दाल पक चुका है तो एक चम्मच के सहारे से डाले गए सुपारी को निकाल कर फेंक दे फिर 1 से 2 मिनट तक डाल को पकने दें, अब गरम मसाला,बाड़ीक कटे धनिया पत्ता, बुरादा किए गए अंडा और बटर डालकर चलाएं, 1 से 2 मिनट तक पकने दे फिर चूल्हा बंद कर दे मुगलई दाल तैयार है सर्व करें।

INGREDIENTS
- 400 ग्राम साबुत मूंग
- 50 ग्राम लहसुन
- 8 पीस कच्चा अंडा
- 50 ग्राम बटर
- 50 ग्राम देसी घी
- 100 ग्राम टमाटर
- 100 ग्राम प्याज
- 50 ग्राम धनिया पत्ता
- 50 ग्राम सफेद उड़द दाल
- 1.5 चम्मच गरम मसाला
- 1 चम्मच कश्मीरी मिर्च
- 1/2 चम्मच हल्दी पाउडर
- 1 कप गर्म दूध
- 1 पीस साबुत सुपारी
- 2 चम्मच रिफाइंन तेल
- 25 ग्राम अदरक
- 1 चम्मच लाल मिर्च पाउडर
- नमक स्वाद अनुसार
मुगलई दाल बनाने की विधि:-
Step 1
मुगलई दाल बनाने के लिए सबसे पहले साबुत मूंग को छलनी से छानकर उसमें के धूल कण को हटा दे, मूंग में दो चम्मच रिफाइन तेल डालकर हाथ से मिला ले।
Step 2
अब चूल्हा जलाकर कराही चढ़ा दे कराही को गर्म होने दे जब कराही गर्म हो जाए तब एक चम्मच कराही में नमक डालें फिर रिफाइन लगे मुंह डालकर भूने, तब तक भूने जब तक उसका रंग भूरा न हो जाए जब रंग भूरा हो जाए तब इसे निकाल कर एक बर्तन में रख ले, फिर कराही में उड़द दाल डालकर भूने और चूल्हा को बंद कर दे उड़द दाल अलग निकाल कर एक बर्तन में रख ले।
Step 3
दाल जब ठंडा हो जाए तब एक प्रेशर कुकर में 2 से 2.5 लीटर पानी डालकर भुने हुए मुंग और भुने हुए उड़द दाल के साथ एक चुटकी हल्दी,एक चम्मच नमक और आधा चम्मच देसी घी डालकर कुकर के ढक्कन बंद कर दे।
Step 4
चूल्हा जलाकर प्रेशर कुकर उस पर चढ़ाकर 5 से 6 सीटी बजने के लिए छोड़ दें।
Step 5
इसी बीच में टमाटर को पानी से धोकर बाड़ीक काट ले, अदरक को छीलकर बारीक काट ले, प्याज को छीलकर बारीक काट ले, लहसुन को छीलकर बारीक काट ले, धनिया पत्ता को पानी से धोकर बड़ी काट ले।
Step 6
काली मिर्च पाउडर,हल्दी पाउडर,लाल मिर्च पाउडरपानी मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट बनाकर एक अलग बर्तन में रख ले।
Step 7
आब प्रेशर कुकर में 5 से 6 सिटी लग चुका है तो चूल्हा पर से उतार कर प्रेशर कुकर को ठंडा होने के लिए अलग रख दे।
Step 8
अब चूल्हा पर फ्राई पैन चढ़ाए जब फ्राईपैन गर्म हो जाए तब दो चम्मच तेल डालें जब तेल गर्म हो जाए तब 8 अंडे में से 6 अंडे को फोड़कर फ्राई पैन में डालें, स्वाद अनुसार इसमें नमक डालें, अब चम्मच से अंडा को हिला हिला कर तोड़कर बुरादा बना ले,अंडे के बुरादा को निकाल कर अलग रख ले।
Step 9
अब फ्राई पैन को उतार कर अब कराही चढ़ाए आँच को धीमी कर दें, जब कराही गर्म हो जाए तब इसमें देसी घी को डालें देसी घी को गर्म होने दे जब देसी घी गर्म हो जाए तब प्याज और लहसुन डालकर प्याज के रंग सुनहरा होने तक भूने जब प्याज का रंग सुनहरा हो जाए तब इसमें काली मिर्च पाउडर हल्दी पाउडर लाल मिर्च पाउडर के तैयार पेस्ट को डालकर चम्मच से चलाएं जब मसाला अच्छा से भून जाए तब इसमें गर्म दूध डालकर एक से दो मिनट तक पकने दे।
Step 10
अब बाकी बच्चे दो अंडे को फोड़कर इसमें डालकर चलाएं अब करही का मसाला अंडा के पेस्ट के तरह दिखने लगा है तब ठंडा हो चुके प्रेशर कुकर को खोल कर उसमें के उबले हुए दाल को कराही में डालकर चम्मच से चलाएं फिर कराही के ढक्कन ढककर 5 से 7 मिनट तक पकने दे।
Step 11
5 से 7 मिनट बाद ढक्कन को हटाकर उबले हुए दाल में कश्मीरी मिर्च और साबूत सुपारी को डाल दे फिर ढक्कन से ढक कर 12 से 15 मिनट तक पकने दे ढक्कन हटाकर अगर जरूरत महसूस करें तो गर्म पानी मिलाकर चलाएं।
Step 12
अब ध्यान देना है की दाल अच्छी तरह पका है कि नहीं अगर दाल पक चुका है तो एक चम्मच के सहारे से डाले गए सुपारी को निकाल कर फेंक दे फिर 1 से 2 मिनट तक डाल को पकने दें, अब गरम मसाला,बाड़ीक कटे धनिया पत्ता, बुरादा किए गए अंडा और बटर डालकर चलाएं, 1 से 2 मिनट तक पकने दे फिर चूल्हा बंद कर दे मुगलई दाल तैयार है सर्व करें।
मुग़लई दाल की प्रमुख वैरायटीज़
1. मुग़लई दाल मखनी
मुख्य दाल:काली उड़द और राजमा
विशेषता: मक्खन और क्रीम से समृद्ध, रेस्टोरेंट स्टाइल स्वाद
स्वाद: गाढ़ा, क्रीमी, हल्का मीठा और मसालेदार
2. मुग़लई मसूर दाल
मुख्य दाल: लाल मसूर दाल
विशेषता: तेज़ मसाले, ड्राई फ्रूट्स और मलाई का संतुलन
स्वाद: तीखा और सुगंधित, शाही टच के साथ
3. मुग़लई पंचमेल दाल
मुख्य दाल: पांच प्रकार की दालों का मिश्रण (चना, तूर, मूंग, मसूर, उड़द)
विशेषता: राजस्थान से प्रभावित लेकिन मुग़लई मसालों के साथ
स्वाद: बहुस्तरीय स्वाद, प्रोटीन और पोषण से भरपूर
4. मुग़लई मूँग-मलाई दाल
मुख्य दाल: पीली मूँग दाल
विशेषता: हल्की, सुपाच्य और मलाई/दूध से बनी
स्वाद: बच्चों और बुजुर्गों के लिए उपयुक्त
5. मुग़लई अरहर (तुवर) दाल
मुख्य दाल: अरहर दाल
विशेषता: पारंपरिक अरहर दाल को मुग़लई घी, साबुत मसाले और काजू के साथ एक रॉयल ट्विस्ट
स्वाद: देसी और शाही का मिश्रण
6. नवाबी दाल (Royal Special)
विशेष: पिस्ता, केसर, काजू, बादाम और मलाई के साथ स्पेशल रेसिपी
स्वाद: सबसे रिच और रॉयल मुग़लई दाल, जिसे त्योहार या शादी जैसे मौकों पर परोसा जाता है
7. मुग़लई दाल तड़का
मुख्य दाल: कोई भी सामान्य दाल, लेकिन तड़के में देशी घी, हींग, कश्मीरी लाल मिर्च और कसूरी मेथी
स्वाद: स्मोकी, मसालेदार और गाढ़ा
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मुग़लई दाल के स्वास्थ्य संबंधी लाभ
हालाँकि मुग़लई दाल स्वाद में बेहद शाही और रिच होती है, लेकिन अगर इसे संतुलित मात्रा में और सही सामग्री के साथ बनाया जाए, तो यह कई स्वास्थ्य लाभ भी देती है।
1. प्रोटीन का अच्छा स्रोत
मुग़लई दाल मुख्यतः उड़द दाल, मसूर दाल या इनका मिश्रण होती है — जो शाकाहारी लोगों के लिए बेहतरीन प्रोटीन स्रोत हैं। यह मांसपेशियों की मजबूती और शरीर की मरम्मत में सहायक होती है।
2. फाइबर युक्त – पाचन के लिए लाभकारी
इसमें घुलनशील और अघुलनशील फाइबर होते हैं, जो:पाचन सुधारते हैंकब्ज से राहत दिलाते हैंआंतों की सेहत को बेहतर बनाते हैं
3. ऊर्जा से भरपूर
इसमें कार्बोहाइड्रेट और हेल्दी फैट (घी/तेल) का सही संतुलन होता है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है, खासकर दिन भर काम करने वालों के लिए।
4. हृदय स्वास्थ्य के लिए सहायक
जब इसमें संतुलित मात्रा में सरसों का तेल, देशी घी या कम वसा वाला क्रीम इस्तेमाल किया जाए, तो यह शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ावा दे सकता है।
5. विटामिन्स और मिनरल्स का भंडार
मुगलई दाल में उपयोग होने वाले सामग्री जैसे:अदरक: सूजन कम करता हैलहसुन: हृदय के लिए अच्छाधनिया पत्ता: विटामिन C, Kकाजू/बादाम (यदि डाला गया हो): ज़िंक, आयरन और ओमेगा-3 फैटी एसिड का स्रोत
6. शरीर को गर्मी प्रदान करती है
इसमें उपयोग किए गए मसाले जैसे दालचीनी, लौंग, काली मिर्च शरीर में गर्मी पैदा करते हैं, जो सर्दियों के मौसम में बहुत लाभकारी होते हैं।
7. डायबिटीज रोगियों के लिए संतुलन के साथ उपयुक्त
यदि इसमें क्रीम या चीनी ना डाली जाए और घी की मात्रा सीमित रखी जाए, तो ये दाल लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली मानी जाती है, जिससे ब्लड शुगर में अचानक उछाल नहीं आता।
8. मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है
मुग़लई दाल में उपयोग होने वाले सूखे मेवे (जैसे काजू या बादाम) और घी में पाए जाने वाले ओमेगा फैटी एसिड और विटामिन E मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बेहतर बनाते हैं। ये याददाश्त को तेज करने और तनाव कम करने में सहायक होते हैं।
9.प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है
दाल और उसमें उपयोग किए गए मसाले (जैसे हल्दी, लहसुन, अदरक) में एंटीऑक्सिडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाते हैं।
10. हड्डियों को मज़बूत करती है
मुग़लई दाल में अगर दूध या मलाई डाली जाए, तो वह कैल्शियम का अच्छा स्रोत बन जाती है। साथ ही, दाल में मैग्नीशियम और फॉस्फोरस भी होते हैं जो हड्डियों की मजबूती के लिए आवश्यक हैं।
11. हीमोग्लोबिन और आयरन में सुधार
उड़द और मसूर दाल दोनों में आयरन पाया जाता है। साथ में उपयोग किए गए हरी सब्ज़ियाँ या धनिया भी आयरन की मात्रा को बढ़ाते हैं, जिससे एनीमिया से बचाव होता है।
12.भूख नियंत्रित करने में मदद करती है
इसमें मौजूद फाइबर और प्रोटीन पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराते हैं, जिससे अधिक खाने की इच्छा कम होती है और यह वज़न नियंत्रण में मददगार होती है।
13.आँखों की रोशनी के लिए फायदेमंद
धनिया पत्ता और अन्य हरी सामग्री में विटामिन A और C होते हैं जो आंखों की सेहत को बनाए रखने में सहायक होते हैं।
14.शरीर को डिटॉक्स करता है
इसमें उपयोग हुए प्राकृतिक मसाले और जड़ी-बूटियाँ शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करते हैं और लिवर की सफाई में सहायक होते हैं।
मुग़लई दाल: पोषण चार्ट एवं स्वास्थ्य लाभ
(प्रत्येक 1 सर्विंग पर आधारित – अनुमानित)
| पोषक तत्व | मात्रा | स्वास्थ्य लाभ |
| कैलोरी | 180–220 kcal | शरीर को ऊर्जा देता है और लंबे समय तक पेट भरा रखता है |
| प्रोटीन | 10–12 ग्राम | मांसपेशियों के विकास और मरम्मत में सहायक |
| कार्बोहाइड्रेट | 18–22 ग्राम | त्वरित ऊर्जा प्रदान करता है |
| फैट (वसा) | 8–12 ग्राम | आवश्यक फैटी एसिड्स, खासकर अगर घी या क्रीम का प्रयोग किया गया हो |
| फाइबर | 3–4 ग्राम | पाचन क्रिया को दुरुस्त रखता है और कब्ज से राहत देता है |
| आयरन (लौह तत्व) | 1.5–2.5 mg | खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने में सहायक |
| कैल्शियम | 40–60 mg | हड्डियों और दांतों की मजबूती के लिए आवश्यक |
| पोटैशियम | 250–300 mg | दिल की धड़कन नियंत्रित करता है और ब्लड प्रेशर को संतुलित रखता है |
| विटामिन A | 100–150 IU | आँखों की रोशनी और त्वचा के लिए फायदेमंद |
| फोलेट (विटामिन B9) | 30–50 mcg | नई कोशिकाओं के निर्माण और गर्भावस्था में लाभकारी |
सुझाव:
यदि आप दाल में अधिक घी या क्रीम नहीं डालते, तो यह और भी हेल्दी और लो-फैट बन जाती है, जिससे यह डायट फ्रेंडली मील हो सकता है।
यदि आप वज़न कम कर रहे हैं तो क्रीम और ड्राय फ्रूट्स की मात्रा सीमित रखें।
उच्च रक्तचाप या कोलेस्ट्रॉल के मरीज घी/तेल की मात्रा पर नियंत्रण रखें।
FAQs मुगलई दाल के संबंध पूछे जाने वाले सवाल एवं उनके उत्तर
Q1. मुगलई दाल को अदरक से गार्निश कर सकते हैं
A हां मुगलई दाल को बारीक कटे अदरक से गार्निश कर सकते हैं
Q2. मुगलई दाल किस चीज के साथ खाया जा सकता है
A मुगलई दाल को रोटी, पराठा रुमाली रोटी चावल के साथ ले सकते हैं इसके अलावा मुगलई दाल को कहीं-कहीं मक्का के रोटी एवं लस्सी के साथ भी लिया जाता है
Q3.मुग़लई दाल किस प्रकार की होती है
A मुग़लई दाल एक शाही शैली में तैयार की गई दाल होती है जिसमें मलाई, घी, सूखे मेवे, और खास मसालों का उपयोग किया जाता है। यह दाल स्वाद में रिच और क्रीमी होती है।
Q4. क्या मुग़लई दाल रोजाना खा सकते हैं
A मुग़लई दाल हफ्ते में 1-2 बार खा सकते हैं। इसमें फैट की मात्रा (मक्खन, घी, क्रीम) ज़्यादा होती है, इसलिए नियमित रूप से सीमित मात्रा में खाना बेहतर होता है।
Q5 मुग़लई दाल और दाल मखनी में क्या फर्क है
A दाल मखनी भी मुग़लई दाल की एक वैरायटी है, लेकिन मुग़लई दाल में अक्सर और भी ज्यादा क्रीम, ड्राई फ्रूट्स, केसर और शाही मसालों का उपयोग होता है। यह और अधिक समृद्ध स्वाद देती है।
Q6. मुग़लई दाल में कौन सी दालें इस्तेमाल होती
Aमुग़लई दाल में उड़द दाल, मसूर दाल, चना दाल, तूर दाल या पंचमेल दाल – किसी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन ज़्यादातर उड़द और मसूर का मिश्रण प्रचलित है।
Q7. क्या मुग़लई दाल को बिना क्रीम या मक्खन के बना सकते हैं
A हा, मुग़लई दाल को आप चाहें तो हेल्दी वर्जन बना सकते हैं – बिना क्रीम, कम घी और लो-फैट दूध से। स्वाद में थोड़ी भिन्नता जरूर होगी, लेकिन यह तब भी स्वादिष्ट रहेगी।
Q8. मुग़लई दाल क्या यह दाल बच्चों को दी जा सकती है
हाँ, लेकिन मुग़लई दाल मे मसाले और घी कम मात्रा में रखें। बच्चों के लिए हल्के स्वाद में बना सकते हैं।
Q9. क्या मुग़लई दाल वेजिटेरियन होती है
A हाँ, मुग़लई दाल पारंपरिक रूप से यह एक शुद्ध शाकाहारी रेसिपी है।
निष्कर्ष
मुग़लई दाल सिर्फ़ एक डिश नहीं, बल्कि भारतीय रसोई की एक शाही परंपरा है — जिसमें स्वाद, सेहत और समृद्धि का अद्भुत मेल देखने को मिलता है। इसका रिच और मलाईदार स्वाद हर खाने को खास बना देता है, चाहे वो त्यौहार हो या फिर कोई फैमिली गेट-टुगेदर।
यदि आप अपनी रसोई में कुछ नया और शाही स्वाद लाना चाहते हैं तो मुग़लई दाल ज़रूर ट्राई करें। इसमें न सिर्फ़ पौष्टिकता है, बल्कि यह स्वाद में इतनी बेहतरीन है कि एक बार खाने के बाद यह आपकी फेवरेट दालों में शामिल हो जाएगी।
अगली बार जब आप कुछ स्पेशल बनाना चाहें, तो मुग़लई दाल को ज़रूर याद रखें।
स्वाद भी मिलेगा, सेहत भी!
