सन्देश मिठाई

सन्देश मिठाई बंगाल की प्रसिद्ध छेना से बनी मिठाई है। इसे घर पर आसानी से बनाया जा सकता है। जानिए इसका इतिहास, बनाने की विधि और सेहत से जुड़े फायदे।

सन्देश मिठाई का परिचय

भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति और खान-पान की परंपरा में मिठाइयों का विशेष स्थान है। हर क्षेत्र की अपनी अलग मिठाई होती है जो वहाँ की पहचान बन चुकी है। पश्चिम बंगाल की बात करें तो वहाँ की “सन्देश मिठाई” केवल एक खाद्य पदार्थ नहीं बल्कि एक भावनात्मक जुड़ाव और सांस्कृतिक धरोहर है।

सन्देश दूध से तैयार की जाने वाली छेना (पनीर) आधारित मिठाई है। इसे मुलायम, हल्की और सौम्य स्वाद वाली मिठाई माना जाता है। यह न तो अत्यधिक मीठी होती है और न ही बहुत भारी। यही कारण है कि इसे “लाइट स्वीट” के रूप में भी जाना जाता है।

सन्देश बनाने की मूल प्रक्रिया में दूध को फाड़कर छेना तैयार किया जाता है और उसमें मिश्री, चीनी या खाँड़ मिलाकर गूँथा जाता है। फिर उसमें इलायची, केसर, गुलाब जल या ड्राय फ्रूट्स मिलाकर मनचाहा रूप दिया जाता है।

विशेषताएँ:

मुलायम बनावट

प्राकृतिक स्वाद

अधिक तेल-घी रहित

आसानी से पचने वाली

स्वास्थ्यवर्धक (क्योंकि यह दूध से बनी होती है)

बंगाली संस्कृति में सन्देश का महत्व इतना अधिक है कि कोई भी पूजा, पर्व, विवाह या सामाजिक अवसर इसके बिना अधूरा माना जाता है।

2. सन्देश मिठाई का सांस्कृतिक महत्व

सन्देश केवल मिठाई नहीं बल्कि आनंद, सौहार्द्र और उत्सव का प्रतीक है।

बंगाल में दुर्गा पूजा, सरस्वती पूजा, काली पूजा और दीवाली के अवसर पर विशेष रूप से सन्देश बनता है।

किसी शुभ अवसर पर लोगों को “सन्देश खिलाना” एक परंपरा मानी जाती है।

विवाह, गृहप्रवेश, नामकरण संस्कार जैसे हर छोटे-बड़े उत्सव में सन्देश शामिल रहता है।

धार्मिक महत्व:

कहा जाता है कि बंगाल के मंदिरों में देवी-देवताओं को भोग के रूप में सन्देश चढ़ाया जाता था। धीरे-धीरे यह आम जनता की भी प्रिय मिठाई बन गई।

3. सन्देश मिठाई का ऐतिहासिक उद्भव

सन्देश की उत्पत्ति पर शोध करने से पता चलता है कि यह मिठाई लगभग 600 साल पुरानी है। बंगाल और उड़ीसा क्षेत्र में छेना (दूध से बना पनीर) का प्रयोग पहले से होता रहा है।

प्रारंभिक स्वरूप:

पुराने समय में चीनी का प्रचलन कम था, तब सन्देश गुड़ या मिश्री से मीठा किया जाता था।

छेना और गुड़ से बनी मिठाई को “खीर” या “मक्खा” कहा जाता था।धीरे-धीरे इसका नाम बदलकर “सन्देश” हो गया।

नाम की उत्पत्ति:

‘सन्देश’ शब्द संस्कृत से लिया गया है जिसका अर्थ है – संदेश या शुभ समाचार। बंगाल में किसी शुभ अवसर पर जब कोई खुशखबरी मिलती थी तो लोग एक-दूसरे को सन्देश (मिठाई) खिलाकर बधाई देते थे।

4. मध्यकाल और सन्देश

मध्यकालीन बंगाल में जब व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान तेजी से बढ़ा तो मिठाई बनाने की विधियों में भी विविधता आई।

सन्देश तब केवल अमीर घरानों और राजमहलों में बनता था।

धीरे-धीरे यह आम जनता तक पहुँचा।

उस समय इसे बनाने में खाँड़ (कच्ची चीनी) और नारियल का भी प्रयोग होता था।

कला और साहित्य में सन्देश:

प्रसिद्ध कवि कृतिवास ओझा और चंडीदास की रचनाओं में सन्देश का उल्लेख मिलता है।

18वीं शताब्दी के बाद यह मिठाई बंगाली समाज में पूरी तरह स्थापित हो चुकी थी।

5. आधुनिक युग में सन्देश का विकास

समय के साथ सन्देश कई नए रूपों में ढल गया।

19वीं शताब्दी:मिठाई की दुकानों ने सन्देश को व्यावसायिक रूप दिया।

विभिन्न फ्लेवर और आकार में इसे बनाना शुरू किया गया।

20वीं शताब्दी:

बंगाल की मशहूर दुकानों जैसे भिम चंद्र नाग, नाथुलाल, और मित्र एंड घोष ने सन्देश को देशभर में लोकप्रिय बना दिया।

अब इसमें चॉकलेट, केसर, पिस्ता, आम और नारियल का भी प्रयोग होने लगा।

21वीं शताब्दी:

आज सन्देश केवल बंगाल तक सीमित नहीं रहा।

दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में बंगाली मिठाई की दुकानों में सन्देश की डिमांड सबसे ज्यादा है।

विदेशों में बसे भारतीय समुदाय ने भी इसे वैश्विक मिठाई बना दिया है।

6. सन्देश के प्रकार

इतिहास में धीरे-धीरे सन्देश की कई वैराइटी विकसित हुईं, जैसे:

  • नरम सन्देश – मुलायम और हल्का
  • केसर सन्देश – केसर के स्वाद वाला
  • नारियल सन्देश – नारियल के बुरादे से बना
  • चॉकलेट सन्देश – आधुनिक स्वाद के लिए
  • आम (मैंगो) सन्देश – गर्मियों में लोकप्रिय
  • ड्राय फ्रूट्स सन्देश – खास अवसरों के लिए

7.सन्देश और व्यवसाय

  • आज सन्देश बंगाल का “ब्रांड आइडेंटिटी” बन चुका है।
  • कोलकाता और आसपास के जिलों में हजारों मिठाई की दुकानें सन्देश बेचती हैं।
  • त्यौहारों के मौसम में इसकी बिक्री करोड़ों रुपये तक पहुँच जाती है।
  • इसे पैक करके देश-विदेश तक भेजा जाता है।

INGREDIENTS

  • फुल-फैट दूध — 1 लीटर
  • नींबू का रस / सफेद सिरका — 2 बड़े चम्मच (≈ 30 मि.ली.) — पानी में पतला करके इस्तेमाल करें
  • पिसी चीनी (या ज़ायके के अनुसार) — ½ कप (≈ 90–100 ग्राम)
  • इलायची पाउडर — ½ छोटा चम्मच
  • गुलाब जल/केवड़ा जल — ½–1 छोटा चम्मच (वैकल्पिक)
  • केसर — 8–10 धागे (वैकल्पिक)
  • सजावट: पिस्ता/बादाम कतरन,
  • केसर के धागे
  • घी (मोल्ड हल्का ग्रीस करने के लिए) — थोड़ा
सन्देश मिठाई
सन्देश मिठाई

सन्देश मिठाई बनाने कि बिधि

दूध तैयार करना

1. दूध को साफ पैन में डालें। मध्यम आंच पर गरम करें।

2. जब दूध किनारों पर बुलबुले दिखाने लगे और सतह पर हल्का-सा उबाल आए (≈ 90–95°C, या जब दूध लगभग उबलने लगे), आंच धीमी कर दें। (लगभग 8–10 मिनट)

नोट: दूध को तेज उबालने से ओवरफ़्लो होने का खतरा; धीमा रखें और निगरानी करें।

दूध फाड़ना

3. नींबू का रस/सिरका को बराबर पानी में पतला कर लें (2 बड़े चम्मच पानी में घोल लें)। यह कदम दाने नरम रखने में मदद करेगा।

4. पतला किया हुआ खटास धीरे-धीरे (चम्मच-चम्मच) दूध में डालें और धीरे से 10–20 सेकंड तक फड़कते हुए हिलाएँ।

5. 20–40 सेकंड में आप देखेंगे: दूध फटकर छेना (सफेद ठोस) और छाछ (पीला-हरा तरल) अलग हो जाएगा। यदि पूरी तरह न फटे तो 1 छोटा चम्मच और डालें।

सही संकेत: छाछ स्पष्ट और हल्का पीला हो; छेना सफेद और दानेदार दिखे।

छानना और धोना

6. मट्ठे को बड़े बाउल में रखें, ऊपर से दोगुना मलमल रखें और दूध-छेना मिश्रण को जल्दी से छान लें।

7. छेना कपड़े में रह जाएगा; छाछ अलग हो जाएगी। तुरंत ठंडे पानी से छेना धोएँ — 20–30 सेकंड तक — ताकि नींबू/सिरके की खटास हट जाए और दाने ठंडे होकर पकड़े रहें।

नोट: बहुत गर्म रहने पर छेना गूदा महसूस कर सकता है; ठंडे पानी से धोने से उसका रंग सफेद और ताजा रहेगा।

अतिरिक्त पानी निकालना ड्रेन/लटकाना

8. कपड़े को कसकर बाँधें और नलों के ऊपर या किसी स्पून पर 20–30 मिनट के लिए लटका दें ताकि अतिरिक्त पानी निकल जाए।

अगर आप जल्दी में हैं तो कपड़े को हल्का दबाकर 8–10 मिनट में भी नमी निकाल सकते हैं, पर सावधान: ज़्यादा दबाने पर छेना बहुत सूखा हो सकता है।

9. लक्ष्य: छेना गीला-नरम रहे — हाथ दबाने पर पानी न टपके पर ऊपरी सतह सूखी न लगे।

छेना गूँथना / मसलना सबसे महत्वपूर्ण स्टेप

10. छेना को साफ थाली पर निकालें। हथेलियों के हील से छेने को फैलाते और दबाते हुए 8–12 मिनट तक मसलें — लगातार मोड़ते और दबाते रहें।

तकनीक: हथेली को नीचे दबाएं, छेना को आगे-पीछे खींचें, फिर इकट्ठा करें; इस क्रिया से दाने टूट कर चिकनाई बनाते हैं।

11. जब छेना चिकना, हल्का चमकदार और बिना दाने के हो जाए और एक साथ आ जाये — मतलब गूँथना पूरा।

टेस्ट: छोटी गोल बनाकर चपटा करें; किनारों पर दरार नहीं आनी चाहिए।

6) चीनी और फ्लेवर मिलाना

अब पिसी चीनी धीरे-धीरे मिलाएँ (1–2 चम्मच के बैच में) और हर बार अच्छी तरह मसलें—कुल 2–4 मिनट।

नोट: पाउडर चीनी जल्दी घुलती है; दानेदार चीनी से टेक्सचर अलग बनेगा।

13. इलायची पाउडर और (यदि उपयोग कर रहे हों तो) केसर के धागे (गर्म दूध में भिगोकर) मिलाएँ।

गुलाब जल/केवड़ा आख़िर में डालें।

पकाना — तीन विकल्प (नरम/कोरा/भाप)

A) नरम सन्देश (Soft — सबसे क्लासिक)14A. नॉन-स्टिक पैन को लो फ्लेम पर रखें; मसल हुआ छेना डालें। लगातार चलाते हुए 3–5 मिनट पकाएँ—जब तक मिश्रण थोड़ा गाढ़ा हो, पण अभी भी नरम लगे।

पैन की दीवारें साफ दिखाई दें पर मिश्रण सूखा न लगे।

गैस बंद कर के थोड़ी देर ठंडा होने दें (2–3 मिनट), फिर हाथों से बेल कर सेंपल-साइज़ गोलियाँ बनाएँ और सजाएँ।

B) कोरा पाक (Firm — मोल्ड-काबिल)

ऊपर की तरह पर 6–8 मिनट धीमी आंच पर पकाएँ।

मिश्रण जब पैन में चलाने पर साफ दिखे और मोटा आटा जैसा हो जाए, तब गैस बंद करें। ठंडा होने पर मोल्ड में दबाकर शेप दें।

C) भाप सन्देश (Bhapa — स्टीम्ड)

हल्का पकाया हुआ मिश्रण (नरम स्टेज) कटोरियों में भरें, ऊपर मेवा रखें। स्टिमर में सेट कर मध्यम आंच पर 8–10 मिनट स्टीम करें।

निकालकर ठंडा करें — चम्मच से परोसे जाने वाला क्रीमी टेक्सचर मिलेगा।8) शेपिंग और सेटिंग (10–30 मिनट)

हाथों पर थोड़ा घी लगाकर गोले/पैटी बनाएं या मोल्ड में दबाकर सजाएँ। ऊपर से पिस्ता या केसर रखें।

कमरे के तापमान पर 20–30 मिनट के लिए रखें ताकि शेप सेट हो जाए;

फ्रिज में 30–60 मिनट रखने से कटने पर साफ रहे।

छोटी-छोटी प्रो-टिप्स (क्वालिटी बढ़ाने के लिए)दूध: जितना फैटी दूध, उतना रिच चेना।

खटास पतला करें — सीधे नींबू/सिरका डालने से दाने कड़े हो सकते हैं।छेना बहुत सूखा न करें; हल्का नमी बनाए रखें।मसलते समय रुकें नहीं — लगातार मसलने से चिकना परिणाम मिलेगा।

चीनी का प्रतिशत घटा-बढ़ा कर मीठा नियंत्रित करें (डायबिटिक रिसिपी के लिए स्किप या स्वीटनर)।नोलें-गुड़ (Nolen Gur) डालें तो खुशबू तुरंत उड़ सकती है — गैस बंद करके थोड़ा ठंडा करने के बाद मिलाएँ।

आम समस्याएँ & समाधान (फ़ास्ट रिफरेंस)दाना-दाना/रूखा छेना: पानी ज़्यादा निकाल दिया → 1–2 चम्मच गर्म दूध/मलाई मिलाकर 30–40 सेकंड मसलें।

मिश्रण बहुत ढीला/बहता है: थोड़ी देर और लो फ्लेम पर पकाएँ या फ्रिज में 10–15 मिनट रखें।

खटास बनी हुई गंध: छेना सही से धोना छूट गया → अगली बार ठंडे पानी से अच्छी तरह धोएँ; अभी के बैच में गुलाब जल मिलाकर बैलेंस करें।सख्त/रबर जैसा: ओवरकुक हो गया → थोड़ा दूध/मलाई मिलाकर हल्का मसलें।

मोल्ड पर चिपकना: मोल्ड पर हल्का घी/पिसी चीनी लगाएं।

वैरिएंट्स (तुरंत ट्राय करने लायक)

1. केसर-पिस्ता: केसरभिगोया दूध + पिस्ता ऊपर।

2. नोलें-गुर (खास सर्दियों में): चीनी के स्थान पर नोलें गुर।

3. चॉकलेट सन्देश: 1–2 बड़े चम्मच कोको पाउडर (छना हुआ) मिलाएँ।

4. नारियल सन्देश: सूखा नारियल बुरादा 1–2 टेबलस्पून मिलाकर शेप दें।

स्टोरेज और शेल्फ-लाइफ़रूम-टेम्प (ठंडी जगह):

6–8 घंटे (गर्म मौसम में कम)फ्रिज (एयर-टाइट कंटेनर): 48–72 घंटे तक सुरक्षित; ताज़गी 24–48 घंटे में सर्वश्रेष्ठ।

फ्रीज़िंग: आमतौर पर न सिफारिश — टेक्सचर बिगड़ता है। अगर फ्रीज़ करना ही हो तो एयरटाइट पैक में रखें और उपयोग से पहले धीरे-धीरे फ्रिज में डी-फ्रॉस्ट करें।

सन्देश मिठाई

सन्देश मिठाई

"सन्देश मिठाई बंगाल की प्रसिद्ध छेना से बनी मिठाई है। इसे घर पर आसानी से बनाया जा सकता है। जानिए इसका इतिहास……….
Prep Time 10 minutes
Cook Time 20 minutes
Total Time 30 minutes
Course Dessert
Cuisine American, Indian
Servings 4 People
Calories 280 kcal

Equipment

  • सन्देश मिठाई

Ingredients
  

  • फुल-फैट दूध — 1 लीटर
  • नींबू का रस / सफेद सिरका — 2 बड़े चम्मच ≈ 30 मि.ली. — पानी में पतला करके इस्तेमाल करें
  • पिसी चीनी या ज़ायके के अनुसार — ½ कप (≈ 90–100 ग्राम)
  • इलायची पाउडर — ½ छोटा चम्मच
  • गुलाब जल/केवड़ा जल — ½–1 छोटा चम्मच वैकल्पिक
  • केसर — 8–10 धागे वैकल्पिक
  • सजावट: पिस्ता/बादाम कतरन
  • केसर के धागे
  • घी मोल्ड हल्का ग्रीस करने के लिए — थोड़ा

Instructions
 

सन्देश मिठाई बनाने कि बिधि

    दूध तैयार करना

    • दूध को साफ पैन में डालें। मध्यम आंच पर गरम करें।
    • जब दूध किनारों पर बुलबुले दिखाने लगे और सतह पर हल्का-सा उबाल आए (≈ 90–95°C, या जब दूध लगभग उबलने लगे), आंच धीमी कर दें। (लगभग 8–10 मिनट)
    • नोट: दूध को तेज उबालने से ओवरफ़्लो होने का खतरा; धीमा रखें और निगरानी करें।

    दूध फाड़ना

    • नींबू का रस/सिरका को बराबर पानी में पतला कर लें (2 बड़े चम्मच पानी में घोल लें)। यह कदम दाने नरम रखने में मदद करेगा।
    • पतला किया हुआ खटास धीरे-धीरे (चम्मच-चम्मच) दूध में डालें और धीरे से 10–20 सेकंड तक फड़कते हुए हिलाएँ।
    • 20–40 सेकंड में आप देखेंगे: दूध फटकर छेना (सफेद ठोस) और छाछ (पीला-हरा तरल) अलग हो जाएगा। यदि पूरी तरह न फटे तो 1 छोटा चम्मच और डालें।
    • सही संकेत: छाछ स्पष्ट और हल्का पीला हो; छेना सफेद और दानेदार दिखे।

    छानना और धोना

    • मट्ठे को बड़े बाउल में रखें, ऊपर से दोगुना मलमल रखें और दूध-छेना मिश्रण को जल्दी से छान लें।
    • छेना कपड़े में रह जाएगा; छाछ अलग हो जाएगी। तुरंत ठंडे पानी से छेना धोएँ — 20–30 सेकंड तक — ताकि नींबू/सिरके की खटास हट जाए और दाने ठंडे होकर पकड़े रहें।
    • नोट: बहुत गर्म रहने पर छेना गूदा महसूस कर सकता है; ठंडे पानी से धोने से उसका रंग सफेद और ताजा रहेगा।

    अतिरिक्त पानी निकालना ड्रेन/लटकाना

    • कपड़े को कसकर बाँधें और नलों के ऊपर या किसी स्पून पर 20–30 मिनट के लिए लटका दें ताकि अतिरिक्त पानी निकल जाए।
    • अगर आप जल्दी में हैं तो कपड़े को हल्का दबाकर 8–10 मिनट में भी नमी निकाल सकते हैं, पर सावधान: ज़्यादा दबाने पर छेना बहुत सूखा हो सकता है।
    • लक्ष्य: छेना गीला-नरम रहे — हाथ दबाने पर पानी न टपके पर ऊपरी सतह सूखी न लगे।

    छेना गूँथना / मसलना सबसे महत्वपूर्ण स्टेप

    • छेना को साफ थाली पर निकालें। हथेलियों के हील से छेने को फैलाते और दबाते हुए 8–12 मिनट तक मसलें — लगातार मोड़ते और दबाते रहें।
    • तकनीक: हथेली को नीचे दबाएं, छेना को आगे-पीछे खींचें, फिर इकट्ठा करें; इस क्रिया से दाने टूट कर चिकनाई बनाते हैं।
    • जब छेना चिकना, हल्का चमकदार और बिना दाने के हो जाए और एक साथ आ जाये — मतलब गूँथना पूरा।
    • टेस्ट: छोटी गोल बनाकर चपटा करें; किनारों पर दरार नहीं आनी चाहिए।

    चीनी और फ्लेवर मिलाना

    • अब पिसी चीनी धीरे-धीरे मिलाएँ (1–2 चम्मच के बैच में) और हर बार अच्छी तरह मसलें—कुल 2–4 मिनट।
    • नोट: पाउडर चीनी जल्दी घुलती है; दानेदार चीनी से टेक्सचर अलग बनेगा।
    • इलायची पाउडर और (यदि उपयोग कर रहे हों तो) केसर के धागे (गर्म दूध में भिगोकर) मिलाएँ।
    • गुलाब जल/केवड़ा आख़िर में डालें।
    Keyword सन्देश मिठाई

    सन्देश मिठाई के स्वास्थ्य लाभ

    सन्देश मिठाई केवल स्वादिष्ट ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभकारी मानी जाती है। यह दूध से बनी छेना (पनीर) पर आधारित मिठाई है, जिसमें प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन और मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

    1. हड्डियों और दाँतों के लिए लाभकारी

    सन्देश में मौजूद कैल्शियम और फॉस्फोरस हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह विशेष रूप से उपयोगी है।

    2. उच्च प्रोटीन का स्रोत

    छेना (पनीर) में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होता है।यह शरीर की मांसपेशियों को मजबूत करने और विकास में सहायक है।जिम करने वाले और फिटनेस पसंद लोगों के लिए यह एक हेल्दी मिठाई है।

    3. पाचन तंत्र के लिए हल्की मिठाई

    सन्देश अन्य तैलीय और भारी मिठाइयों की तरह पचने में कठिन नहीं है।इसमें कम घी और तेल प्रयोग होता है, इसलिए यह आसानी से पच जाती है।

    4. वजन नियंत्रण में मददगार

    इसमें फाइबर और प्रोटीन की उचित मात्रा होती है, जो भूख को नियंत्रित करता है।अन्य भारी मिठाइयों की तुलना में यह कम कैलोरी वाली होती है।

    5. ऊर्जा का अच्छा स्रोत

    दूध और चीनी/गुड़ से बनी यह मिठाई तुरंत ऊर्जा प्रदान करती है।विद्यार्थियों और कामकाजी लोगों के लिए यह एक त्वरित ऊर्जा देने वाला स्नैक है।

    6. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक

    इसमें मौजूद विटामिन B12, विटामिन D और खनिज तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं।नियमित सेवन से थकान और कमजोरी कम होती है।

    7. गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए उपयोगी

    इसमें मौजूद कैल्शियम और आयरन गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए लाभकारी हैं।यह हड्डियों और दाँतों के विकास में मदद करता है।

    8. हृदय के लिए अच्छायदि

    इसे कम चीनी या गुड़ के साथ बनाया जाए तो यह दिल के लिए भी फायदेमंद है।इसमें संतृप्त वसा (Saturated Fat) कम होती है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए बेहतर है।

    9. मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी

    दूध और पनीर में मौजूद ट्रिप्टोफैन हार्मोन सेरोटोनिन को सक्रिय करता है।इससे मूड बेहतर होता है और तनाव कम होता है।

    10. बच्चों के लिए पौष्टिक

    स्नैकबच्चे अक्सर मीठा पसंद करते हैं।सन्देश बच्चों को मीठे का स्वाद देने के साथ-साथ उन्हें प्रोटीन और कैल्शियम भी प्रदान करता है। नोट:सन्देश मिठाई के स्वास्थ्य लाभ तभी मिलते हैं जब इसे ताज़ा दूध, सीमित चीनी और शुद्ध सामग्री से बनाया जाए।मधुमेह (Diabetes) के रोगी यदि इसे खाना चाहें तो गुड़, शुगर-फ्री या स्टीविया से बने सन्देश का सेवन करें।

    सन्देश मिठाई का पोषण चार्ट

    (100 ग्राम में)

    पोषक तत्वमात्रास्वास्थ्य लाभ
    ऊर्जा240–280kcal तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है
    प्रोटीन8–10 g मांसपेशियों और विकास के लिए आवश्यक
    वसा9–12 g शरीर में ऊर्जा संतुलन बनाए रखता है
    कार्बोहाइड्रेट 28–35 g शरीर को ग्लूकोज व त्वरित ऊर्जा देता है
    शुगर20–25 g मिठास और ऊर्जा का मुख्य स्रोत
    कैल्शियम150–200 mg हड्डियों और दाँतों को मजबूत बनाता है
    फॉस्फोरस100–120 mg हड्डियों व मांसपेशियों के लिए उपयोगी
    आयरन0.5–1 mg खून में हीमोग्लोबिन बनाने में मददगार
    विटामिन A 80–100 mcg आंखों और त्वचा के लिए लाभकारी
    विटामिन D 1–2 mcg हड्डियों व इम्यूनिटी के लिए ज़रूरी
    विटामिन B12 0.5–0.7 mcg तंत्रिका तंत्र और खून बनाने में सहायक
    सोडियम40–50 mg शरीर के इलेक्ट्रोलाइट संतुलन में मददगार
    पोटैशियम80–100 mg ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखने में सहायक

    विशेष बातें:

    यदि सन्देश गुड़ से बनाया जाए तो इसमें आयरन और खनिज तत्व और भी बढ़ जाते हैं।

    यदि इसमें कम चीनी या शुगर-फ्री का उपयोग किया जाए तो यह डायबिटीज़ रोगियों के लिए भी सुरक्षित हो सकता है।

    बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह अत्यंत पौष्टिक है।

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    सन्देश मिठाई का निष्कर्ष

    भारतीय मिठाइयों की परंपरा सदियों पुरानी और बेहद समृद्ध रही है। हर क्षेत्र की अपनी अलग पहचान और विशेषता है। बंगाल की जब भी बात आती है तो सबसे पहले रसगुल्ला, मिष्ठी doi और सन्देश मिठाई का नाम लिया जाता है। सन्देश केवल एक मिठाई नहीं है बल्कि बंगाल की सांस्कृतिक धरोहर और गर्व का हिस्सा है।

    सन्देश की सबसे खास बात इसकी सादगी और शुद्धता है। ताज़े दूध से बने छेना, थोड़ी सी चीनी और कभी-कभी केसर या इलायची जैसी खुशबूदार सामग्री इसके स्वाद को अनोखा बना देती है। आज जब मिठाइयों में तरह-तरह के फ्लेवर और केमिकल मिलाए जाते हैं, वहाँ सन्देश अपनी सरलता और स्वास्थ्यवर्धक गुणों की वजह से अब भी लोगों के दिलों में खास जगह बनाए हुए है।

    इतिहास की दृष्टि से भी यह मिठाई महत्वपूर्ण है। माना जाता है कि सन्देश का विकास 16वीं से 17वीं शताब्दी के बीच हुआ था, जब बंगाल में छेना आधारित मिठाइयों का प्रचलन बढ़ने लगा। धीरे-धीरे यह मिठाई न केवल बंगाल में बल्कि पूरे भारत में प्रसिद्ध हो गई। आज यह विदेशों तक निर्यात की जाती है और भारतीय मिठाइयों में अपनी अलग पहचान रखती है।

    सन्देश का महत्व केवल त्योहारों और उत्सवों में ही नहीं बल्कि दैनिक जीवन में भी देखने को मिलता है। इसे हल्का और सुपाच्य होने के कारण बच्चे, बुजुर्ग और डायबिटीज़ रोगियों (शुगर-फ्री विकल्प के रूप में) के लिए भी उपयुक्त माना जाता है। यही कारण है कि यह सिर्फ स्वादिष्ट मिठाई नहीं बल्कि सेहतमंद विकल्प भी है।

    यदि हम इसे सामाजिक दृष्टि से देखें तो सन्देश मिठाई का हर अवसर पर खास स्थान है। चाहे शादी-ब्याह हों, दुर्गा पूजा हो, भाई दूज या फिर नया साल—सन्देश हर खुशी को दोगुना कर देता है। यह मिठाई महज मीठा खाने का साधन नहीं बल्कि रिश्तों में मिठास घोलने का प्रतीक भी है।

    आजकल सन्देश में कई नए-नए प्रयोग हो रहे हैं—केसर सन्देश, चॉकलेट सन्देश, आम सन्देश, पिस्ता सन्देश आदि। इससे यह और भी आकर्षक और आधुनिक स्वादों के अनुरूप बन गई है। लेकिन फिर भी इसकी पारंपरिक छवि और स्वाद सबसे अलग और खास है।

    मिठाई स्वाद, स्वास्थ्य और परंपरा का अद्भुत संगम है। यह न केवल बंगाल की पहचान है बल्कि पूरे भारत की मिठास भरी धरोहर है। इसे घर पर बनाना बेहद आसान है और इसके स्वास्थ्य लाभ इसे और भी खास बना देते हैं। यदि आप मिठाई प्रेमी हैं तो सन्देश मिठाई को अपनी मिठाई सूची में ज़रूर शामिल करें। यह न सिर्फ आपकी ज़ुबान को बल्कि आपके दिल को भी मिठास से भर देगी।

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