घर पर मुलायम और फूली-फूली इडली बनाने की आसान विधि
मुलायम और स्वादिष्ट इडली रेसिपी बनाने की आसान विधि। जानिए स्टेप-बाय-स्टेप इडली रेसिपी, सामग्री और स्वास्थ्य लाभ।
इडली रेसिपी का परिचय
इडली (Idli) दक्षिण भारत का एक प्रमुख और पारंपरिक व्यंजन है, जो अपनी सरलता, पौष्टिकता और हल्केपन के लिए पूरे भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह एक प्रकार का भाप में पकाया हुआ केक जैसा व्यंजन है जिसे चावल और उड़द दाल के घोल से बनाया जाता है। इडली का स्वाद बहुत ही हल्का और फूला हुआ होता है, जिसके कारण इसे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी आसानी से खा सकते हैं।
इडली का इतिहास काफी प्राचीन माना जाता है। इसे आयुर्वेदिक दृष्टि से भी पचने में आसान और स्वास्थ्यवर्धक भोजन के रूप में वर्णित किया गया है। पारंपरिक रूप से इडली को नाश्ते के रूप में परोसा जाता है और इसे सांभर, नारियल की चटनी, टमाटर की चटनी या अन्य दक्षिण भारतीय व्यंजनों के साथ परोसा जाता है।
इडली की खासियत यह है कि इसमें न तो ज्यादा तेल लगता है और न ही मसालों का प्रयोग होता है। यह भाप में पकने के कारण हल्का और पचने में आसान होता है। यही कारण है कि यह स्वास्थ्य के प्रति सजग लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय है।
आज इडली केवल दक्षिण भारत तक सीमित नहीं रही, बल्कि उत्तर भारत, नेपाल, श्रीलंका, मलेशिया और विदेशों में भी इसे पसंद किया जाता है। कई जगहों पर इसके विभिन्न प्रकार जैसे रवा इडली, मसाला इडली, मिनी इडली, मिलेट इडली और रागी इडली भी बनाए जाते हैं।
संक्षेप में, इडली भारतीय पाक-कला की एक ऐसी धरोहर है जो स्वाद, स्वास्थ्य और परंपरा – तीनों को एक साथ जोड़ती है।
इडली रेसिपी का इतिहास
सइडली का इतिहास बहुत ही रोचक और प्राचीन है। इसका उल्लेख कई ऐतिहासिक ग्रंथों, साहित्य और यात्राओं के विवरणों में मिलता है। इडली को दक्षिण भारत का पारंपरिक व्यंजन माना जाता है, लेकिन इसके उद्भव को लेकर कई मत प्रचलित हैं। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:
1. प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख
इडली का पहला उल्लेख लगभग 920 ईस्वी के आसपास संस्कृत ग्रंथ “वड्डराधने” (Vaddaradhane) में मिलता है।
इसमें “इड्डलगे” नाम से एक पकवान का जिक्र है, जो आज की इडली से काफी मिलता-जुलता है।
10वीं से 13वीं शताब्दी के बीच लिखे गए कई तमिल और कन्नड़ साहित्य में भी इडली जैसी डिश का उल्लेख मिलता है।
2. विदेशी प्रभाव की कहानी
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इडली की जड़ें इंडोनेशिया से जुड़ी हैं।
800 से 1200 ईस्वी के दौरान कई भारतीय राजा (विशेषकर दक्षिण भारत के चोल वंश के राजा) इंडोनेशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में गए थे।वहाँ एक डिश “कदोक” (Kedli या Kedok) बनती थी, जो इडली से मिलती-जुलती थी। माना जाता है कि राजा और यात्रियों के जरिए यह डिश भारत आई और बाद में “इडली” के रूप में विकसित हुई।
3. आयुर्वेदिक और स्वास्थ्य दृष्टिकोण
आयुर्वेद में इडली को “हल्का, सुपाच्य और पौष्टिक भोजन” बताया गया है।
भाप में पकने की वजह से इसमें तेल और मसाले का उपयोग बहुत कम होता है, जिससे यह बीमार और बुजुर्ग लोगों के लिए भी उपयुक्त माना जाता था।
4. इडली का विकास और आधुनिक रूप
शुरुआती समय में इडली केवल उड़द दाल से बनाई जाती थी।
बाद में चावल को भी इसमें शामिल किया गया, जिससे इसका स्वाद और बनावट दोनों बेहतर हुए।
20वीं सदी में रवा इडली (Semolina Idli) की खोज हुई, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चावल की कमी के कारण आई थी।
आज इडली कई रूपों में उपलब्ध है – जैसे मसाला इडली, मिनी इडली, रागी इडली, ओट्स इडली, मल्टीग्रेन इडली आदि।
5. वैश्विक पहचान
आज इडली सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है।इसे भारत, श्रीलंका, नेपाल, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया और पश्चिमी देशों में भी खाया जाता है।21वीं सदी में इडली को “world’s healthiest breakfast” (दुनिया का सबसे स्वास्थ्यवर्धक नाश्ता) भी कहा गया है।
- इस प्रकार, इडली का इतिहास यह दर्शाता है कि यह केवल एक व्यंजन नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर है, जिसने सदियों से लोगों के स्वाद और स्वास्थ्य दोनों का ध्यान रखा है।
INGREDIENTS
- चावल (इडली राइस/पारबॉयल्ड राइस) – 2 कप
- उड़द दाल (धुली हुई) – 1 कप
- मेथी दाना – ½ चम्मच
- पानी – आवश्यकता अनुसार
- नमक – स्वादानुसार
- तेल या घी – इडली स्टैंड को चिकना करने के लिए
- नारियल चटनी और सांभर – परोसने के लिए
ध्यान रहे कि चावल और उड़द दाल का अनुपात 2:1 या 3:1 सबसे उपयुक्त माना जाता है।
इडली रेसिपी बनाने की विधि
इडली रेसिपी बनाने के लिए सबसे पहले
स्टेप 1: सामग्री तैयार करना
इडली बनाने से पहले चावल, उड़द दाल और मेथी दाना को सही तरीके से धोना और भिगोना सबसे पहला कदम है।
1. चावल धोना और भिगोना
- सबसे पहले 2 कप इडली चावल (या पारबॉयल्ड राइस) लें।
- इसे 5–6 बार पानी से धोएँ ताकि अतिरिक्त स्टार्च निकल जाए और इडली का रंग सफेद और स्वाद बेहतर हो।
- अब चावल को 6–8 घंटे के लिए पर्याप्त पानी में भिगो दें।
2. उड़द दाल और मेथी दाना
- 1 कप उड़द दाल लें और अच्छी तरह धो लें।
- साथ में ½ चम्मच मेथी दाना भी डालें।
- इसे भी 6–7 घंटे के लिए अलग बर्तन में भिगोकर रखें।
भिगोने से दाल और चावल दोनों फूल जाते हैं, जिससे पीसना आसान हो जाता है और खमीर भी अच्छे से उठता है।
स्टेप 2: पीसने की प्रक्रिया
1. उड़द दाल पीसना
- सबसे पहले भीगी हुई उड़द दाल और मेथी दाना को ग्राइंडर में डालें।
- थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पानी डालते हुए इसे बहुत ही मुलायम और फूला हुआ पेस्ट बना लें।
- जब घोल हल्का और झागदार दिखे, तो समझिए पीसाई सही हुई है।
2. चावल पीसना
- अब भीगे हुए चावल को दरदरा पीसें।
- ध्यान रहे कि चावल का घोल बहुत मुलायम न हो, इसमें हल्की दानेदार बनावट रहनी चाहिए। यही बनावट इडली को परफेक्ट बनाती है।
3. मिलाना
- अब दोनों घोल (दाल और चावल) को एक बड़े बर्तन में डालें।
- अच्छी तरह मिलाएँ ताकि यह एकसमान हो जाए।
- घोल का गाढ़ापन इतना होना चाहिए कि वह न तो बहुत पतला बहे और न ही बहुत गाढ़ा रहे।
घोल का सही टेक्सचर “पकोड़े के घोल” जैसा होना चाहिए।
स्टेप 3: खमीर उठाना
- 1. पीसे हुए घोल में स्वादानुसार नमक डालें और हल्का सा मिलाएँ।
- 2. बर्तन को ढककर 8–10 घंटे तक गरम जगह पर रखें।गर्मियों में 6–8 घंटे काफी होते हैं।सर्दियों में यह समय 12–14 घंटे तक भी हो सकता है।
- 3. खमीर उठने के बाद घोल का आयतन दुगना हो जाएगा और उसमें हल्के बुलबुले दिखाई देंगे।
- 4. जब आप घोल को चम्मच से हिलाएँगे तो यह हल्का और झागदार लगेगा।
नोट : यही स्टेप इडली को नरम और फूली-फूली बनाने का असली राज है।
स्टेप 4: इडली सांचे की तैयारी
- 1. इडली बनाने से पहले इडली सांचे (Idli stand) को हल्का तेल या घी लगाकर चिकना करें।
- इससे इडली आसानी से निकल जाएगी।
- 2. खमीर उठे हुए घोल को ज्यादा न चलाएँ, बस हल्का सा मिलाएँ।
- 3. अब सांचों में घोल भरें, लेकिन ऊपर तक न भरें – थोड़ी जगह खाली छोड़ दें ताकि भाप में फूलने पर इडली बाहर न निकले।
स्टेप 5: इडली पकाना
- एक बड़े स्टीमर या प्रेशर कुकर में पानी डालें और गरम करें।
- जब पानी गरम हो जाए तो इडली स्टैंड को उसमें रख दें।
- कुकर का ढक्कन लगाएँ लेकिन सीटी न लगाएँ।
- मध्यम आंच पर लगभग 10–15 मिनट तक भाप में पकाएँ।
- इडली के पकने का समय आपके स्टीमर या कुकर के आकार पर निर्भर करता है।
- 12 मिनट बाद एक टूथपिक डालकर चेक करें।
- अगर टूथपिक साफ निकल आए तो इडली पक चुकी है।
- अगर टूथपिक पर घोल चिपक जाए तो 2–3 मिनट और पकाएँ।
ध्यान दें कि ज्यादा देर तक पकाने से इडली सख्त हो सकती है।
स्टेप 6: इडली निकालना और परोसना
- स्टीमर/कुकर से स्टैंड को निकालें और 2–3 मिनट ठंडा होने दें।
- अब गीले चम्मच या चाकू की मदद से इडली को धीरे-धीरे निकालें।
- गरमा-गरम इडली अब तैयार है।
- इसे नारियल चटनी, सांभर या टमाटर की चटनी के साथ परोसें।
स्टेप 7: विशेष टिप्स
- दाल को पीसते समय ठंडा पानी इस्तेमाल करें, इससे घोल हल्का और झागदार बनेगा।
- इडली का घोल ज्यादा पतला हो गया हो तो थोड़ा सूजी या चावल का आटा मिलाकर ठीक कर सकते हैं।
- अगर सर्दी का मौसम है तो घोल को ओवन/माइक्रोवेव में लाइट ऑन करके रख दें, इससे खमीर जल्दी उठेगा।
- बच्चों के लिए मिनी इडली बनाएँ और ऊपर से घी डालकर सांभर में परोसें।

इडली को हेल्दी बनाने के 10 खास टिप्स
1. सफेद चावल की जगह ब्राउन राइस का इस्तेमाल करें ब्राउन राइस में फाइबर, मिनरल्स और विटामिन ज्यादा होते हैं।यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है और वजन घटाने में मदद करता है।
2. रवा (सूजी) और ओट्स इडलीसूजी और ओट्स से बनी इडली हल्की और कम कैलोरी वाली होती है।ओट्स में बीटा-ग्लूकान फाइबर होता है, जो कोलेस्ट्रॉल कम करता है।
3. दालों का मिश्रण बढ़ाएँ उड़द दाल के साथ मूंग दाल, चना दाल या मसूर दाल भी मिलाएँ।इससे प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है और इडली ज्यादा पौष्टिक बनती है।
4. सब्जियों वाली इडली (Vegetable Idli)इडली घोल में गाजर, बीन्स, मटर, पालक, टमाटर आदि बारीक काटकर मिलाएँ।इससे विटामिन, मिनरल्स और फाइबर की मात्रा बढ़ जाती है।
5. मिलेट इडली (Bajra, Jowar, Ragi)रागी (मड़ुआ), ज्वार, बाजरा जैसे मोटे अनाज से बनी इडली कैल्शियम और आयरन से भरपूर होती है।डायबिटीज़ रोगियों और बच्चों के लिए यह बहुत फायदेमंद है।
6. फर्मेंटेशन सही रखेंइडली का घोल ठीक से खमीर उठे तभी यह सुपाच्य और पौष्टिक बनती है।खमीर उठाने से इसमें प्रोबायोटिक्स पनपते हैं जो आंतों की सेहत के लिए बेहतरीन होते हैं।
7. कम नमक और कम सोडा का इस्तेमाल करेंघोल में नमक संतुलित मात्रा में डालें।अगर सोडा डाल रहे हैं तो बहुत कम मात्रा रखें, वरना पाचन में समस्या हो सकती है।
8. पकाने में ध्यान देंइडली हमेशा भाप में पकाएँ, तलने या ज्यादा घी/तेल डालने से बचें।इससे यह लो-कैलोरी और लो-फैट बनी रहती है।
9. साथ में हेल्दी चटनी परोसेंइडली को नारियल की जगह टमाटर चटनी, मूंगफली चटनी या पुदीना-धनिया चटनी के साथ परोसें।इससे पोषण और स्वाद दोनों बढ़ जाते हैं।
10. नाश्ते में शामिल करें, रात में कम खाएँसुबह नाश्ते में इडली खाना सबसे अच्छा है क्योंकि यह पूरे दिन ऊर्जा देती है।रात को खाने से बचें, क्योंकि देर रात कार्बोहाइड्रेट धीमे पचते हैं।
इडली रेसिपी के स्वास्थ्य लाभ
इडली केवल एक साधारण नाश्ता नहीं, बल्कि भारतीय भोजन संस्कृति का एक ऐसा व्यंजन है जिसे “सुपरफूड” कहा जा सकता है। यह हल्की, पौष्टिक, सुपाच्य और स्वादिष्ट होती है।
खास बात यह है कि इडली बनाने में तेल, घी या मसाले का प्रयोग न के बराबर होता है, क्योंकि इसे भाप में पकाया जाता है।
यही कारण है कि यह हर उम्र के लोगों के लिए सुरक्षित और फायदेमंद है।आधुनिक जीवनशैली में जहां लोग हेल्दी नाश्ते की तलाश करते हैं, वहाँ इडली सबसे बेहतरीन विकल्प है।
1. सुपाच्य और हल्का भोजन
- इडली की सबसे बड़ी खासियत है कि यह आसानी से पच जाती है।
- इसे बनाने के लिए जो खमीर उठाने की प्रक्रिया होती है, उसमें कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन टूटकर सरल रूप में बदल जाते हैं।
- इस वजह से इडली पेट में भारीपन नहीं करती और एसिडिटी जैसी समस्या भी नहीं होती।
- यह गुण इसे बच्चों और बुजुर्गों दोनों के लिए उपयुक्त बनाता है।
2. पोषक तत्वों से भरपूर
- इडली में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स संतुलित मात्रा में होते हैं।
- कैल्शियम, आयरन और विटामिन B कॉम्प्लेक्स भी पर्याप्त मात्रा में
- यह पोषक तत्व शरीर को ऊर्जा देते हैं और हड्डियों व मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं।
3. वजन घटाने में सहायक
- इडली लो-कैलोरी और लो-फैट भोजन है।
- इसमें तली-भुनी चीज़ों की तरह अतिरिक्त तेल नहीं होता।
- सुबह नाश्ते में इडली खाने से पेट भरा-भरा महसूस होता है, जिससे बार-बार भूख नहीं लगती और ओवरईटिंग से बचाव होता है।
- फाइबर और प्रोटीन मेटाबॉलिज़्म को तेज करते हैं, जिससे कैलोरी बर्न होती है और वजन नियंत्रित रहता है।
4. डायबिटीज़ रोगियों के लिए फायदेमंद
- इडली का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) अपेक्षाकृत कम होता है।
- यह रक्त शर्करा (Blood Sugar) को धीरे-धीरे बढ़ाती है, जिससे डायबिटीज़ रोगियों को ऊर्जा तो मिलती है लेकिन शुगर लेवल अचानक नहीं बढ़ता।
- रागी इडली या मल्टीग्रेन इडली डायबिटीज़ वालों के लिए और भी बेहतर विकल्प है।
5. पेट और पाचन तंत्र के लिए अच्छी
- इडली खमीर उठाकर बनाई जाती है, जिससे इसमें प्री-बायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स जैसे गुण आते हैं।
- ये पेट के अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं, जिससे पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है।
- कब्ज, गैस और अपच जैसी समस्याओं में इडली खाना लाभकारी है।
- पेट की बीमारी से उबर रहे मरीजों को डॉक्टर भी अक्सर इडली खाने की सलाह देते हैं।
6. बच्चों के लिए संपूर्ण आहार
- बच्चों को ऐसा भोजन चाहिए जो पौष्टिक भी हो और पचने में आसान भी।
- इडली में कैल्शियम और प्रोटीन अच्छी मात्रा में होते हैं, जो हड्डियों और दांतों के विकास के लिए जरूरी हैं।
- मिनी इडली या वेजिटेबल इडली बच्चों को बहुत पसंद आती है।
- सुबह नाश्ते या टिफिन के लिए यह आदर्श विकल्प है।
7. बुजुर्गों के लिए उपयुक्त भोजन
- बुजुर्गों का पाचन तंत्र कमजोर होता है, इसलिए उन्हें हल्का भोजन ही दिया जाता है।
- इडली नरम, हल्की और सुपाच्य होती है, जिसे बिना दांतों के भी आसानी से खाया जा सकता है।
- इसमें ज्यादा मसाले या तेल न होने से यह हृदय और पेट दोनों के लिए सुरक्षित है।
8. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए
- इडली में मौजूद विटामिन B कॉम्प्लेक्स और आयरन शरीर में खून की कमी को दूर करने में मदद करते हैं।
- खमीर उठाने से बनने वाले एंजाइम्स और प्रोबायोटिक्स इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं।
- नियमित रूप से इडली खाने से सर्दी-जुकाम, पाचन संबंधी संक्रमण और थकान जैसी समस्याओं से बचाव होता है।
9. हार्ट हेल्थ के लिए अच्छी
- इडली में कोलेस्ट्रॉल और ट्रांस फैट नहीं होता।
- इसे भाप में पकाने की वजह से यह हृदय के लिए हल्की और सुरक्षित है।
- हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग से पीड़ित लोगों को तली हुई चीज़ों की जगह इडली खाना चाहिए।
10. यात्रा या बीमारियों में उपयोगी
- यात्रा के दौरान या बीमारी में अक्सर डॉक्टर हल्का भोजन लेने की सलाह देते हैं।
- इडली लंबे समय तक ताजा रहती है और आसानी से ले जाई जा सकती है।
- डेंगू, टायफॉयड या सर्जरी के बाद रिकवरी में भी इडली बहुत लाभकारी होती है।
11. शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का अच्छा स्रोत
- शाकाहारी लोगों को अक्सर पर्याप्त प्रोटीन नहीं मिल पाता।
- चावल और उड़द दाल का संयोजन एक “कम्प्लीट प्रोटीन” बनाता है।
- यह शरीर की मांसपेशियों को मजबूत करने और विकास में मदद करता है।
12. ग्लूटेन-फ्री विकल्प
- इडली में गेहूँ का प्रयोग नहीं होता, इसलिए यह पूरी तरह से ग्लूटेन-फ्री है।
- ग्लूटेन एलर्जी (Celiac Disease) या ग्लूटेन इनटॉलरेंस वाले लोगों के लिए यह बेहतरीन विकल्प है।
13. मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी
- इडली हल्की और एनर्जी देने वाली होती है।
- इसे खाने के बाद पेट में भारीपन या सुस्ती नहीं आती।
- यह मस्तिष्क को सक्रिय और मूड को अच्छा बनाए रखने में मदद करती है।
14. विविधता और स्वास्थ्य का संतुलन
- इडली को अलग-अलग अनाजों और दालों से बनाकर इसके स्वास्थ्य लाभ और भी बढ़ाए जा सकते हैं।
- रागी इडली – कैल्शियम और आयरन से भरपूर।
- ओट्स इडली – वजन घटाने के लिए उपयुक्त।
- सब्ज़ियों वाली इडली – विटामिन और फाइबर से समृद्ध।
- इन विविधताओं से यह हर तरह के लोगों के लिए हेल्दी और उपयोगी हो जाती है।

इडली रेसिपी
Equipment
- इडली रेसिपी
Ingredients
- चावल इडली राइस/पारबॉयल्ड राइस – 2 कप
- उड़द दाल धुली हुई – 1 कप
- मेथी दाना – ½ चम्मच
- पानी – आवश्यकता अनुसार
- नमक – स्वादानुसार
- तेल या घी – इडली स्टैंड को चिकना करने के लिए
- नारियल चटनी और सांभर – परोसने के लिए
Instructions
इडली रेसिपी बनाने की विधि
- इडली रेसिपी बनाने के लिए सबसे पहले
स्टेप 1: सामग्री तैयार करना
- इडली बनाने से पहले चावल, उड़द दाल और मेथी दाना को सही तरीके से धोना और भिगोना सबसे पहला कदम है।
- चावल धोना और भिगोना
- सबसे पहले 2 कप इडली चावल (या पारबॉयल्ड राइस) लें।
- इसे 5–6 बार पानी से धोएँ ताकि अतिरिक्त स्टार्च निकल जाए और इडली का रंग सफेद और स्वाद बेहतर हो।
- अब चावल को 6–8 घंटे के लिए पर्याप्त पानी में भिगो दें।
- उड़द दाल और मेथी दाना
- 1 कप उड़द दाल लें और अच्छी तरह धो लें।
- साथ में ½ चम्मच मेथी दाना भी डालें।
- इसे भी 6–7 घंटे के लिए अलग बर्तन में भिगोकर रखें।
- भिगोने से दाल और चावल दोनों फूल जाते हैं, जिससे पीसना आसान हो जाता है और खमीर भी अच्छे से उठता है।
स्टेप 2: पीसने की प्रक्रिया
- उड़द दाल पीसना
- सबसे पहले भीगी हुई उड़द दाल और मेथी दाना को ग्राइंडर में डालें।
- थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पानी डालते हुए इसे बहुत ही मुलायम और फूला हुआ पेस्ट बना लें।
- जब घोल हल्का और झागदार दिखे, तो समझिए पीसाई सही हुई है।
- चावल पीसना
- अब भीगे हुए चावल को दरदरा पीसें।
- ध्यान रहे कि चावल का घोल बहुत मुलायम न हो, इसमें हल्की दानेदार बनावट रहनी चाहिए। यही बनावट इडली को परफेक्ट बनाती है।
- मिलाना
- अब दोनों घोल (दाल और चावल) को एक बड़े बर्तन में डालें।
- अच्छी तरह मिलाएँ ताकि यह एकसमान हो जाए।
- घोल का गाढ़ापन इतना होना चाहिए कि वह न तो बहुत पतला बहे और न ही बहुत गाढ़ा रहे।
- घोल का सही टेक्सचर “पकोड़े के घोल” जैसा होना चाहिए।
स्टेप 3: खमीर उठाना
- पीसे हुए घोल में स्वादानुसार नमक डालें और हल्का सा मिलाएँ।
- बर्तन को ढककर 8–10 घंटे तक गरम जगह पर रखें।गर्मियों में 6–8 घंटे काफी होते हैं।सर्दियों में यह समय 12–14 घंटे तक भी हो सकता है।
- खमीर उठने के बाद घोल का आयतन दुगना हो जाएगा और उसमें हल्के बुलबुले दिखाई देंगे।
- जब आप घोल को चम्मच से हिलाएँगे तो यह हल्का और झागदार लगेगा।
- नोट : यही स्टेप इडली को नरम और फूली-फूली बनाने का असली राज है।
स्टेप 4: इडली सांचे की तैयारी
- इडली बनाने से पहले इडली सांचे (Idli stand) को हल्का तेल या घी लगाकर चिकना करें।
- इससे इडली आसानी से निकल जाएगी।
- खमीर उठे हुए घोल को ज्यादा न चलाएँ, बस हल्का सा मिलाएँ।
- अब सांचों में घोल भरें, लेकिन ऊपर तक न भरें – थोड़ी जगह खाली छोड़ दें ताकि भाप में फूलने पर इडली बाहर न निकले।
स्टेप 5: इडली पकाना
- एक बड़े स्टीमर या प्रेशर कुकर में पानी डालें और गरम करें।
- जब पानी गरम हो जाए तो इडली स्टैंड को उसमें रख दें।
- कुकर का ढक्कन लगाएँ लेकिन सीटी न लगाएँ।
- मध्यम आंच पर लगभग 10–15 मिनट तक भाप में पकाएँ।
- इडली के पकने का समय आपके स्टीमर या कुकर के आकार पर निर्भर करता है।
- 12 मिनट बाद एक टूथपिक डालकर चेक करें।
- अगर टूथपिक साफ निकल आए तो इडली पक चुकी है।
- अगर टूथपिक पर घोल चिपक जाए तो 2–3 मिनट और पकाएँ।
- ध्यान दें कि ज्यादा देर तक पकाने से इडली सख्त हो सकती है।
स्टेप 6: इडली निकालना और परोसना
- स्टीमर/कुकर से स्टैंड को निकालें और 2–3 मिनट ठंडा होने दें।
- अब गीले चम्मच या चाकू की मदद से इडली को धीरे-धीरे निकालें।
- गरमा-गरम इडली अब तैयार है।
- इसे नारियल चटनी, सांभर या टमाटर की चटनी के साथ परोसें।
स्टेप 7: विशेष टिप्स
- दाल को पीसते समय ठंडा पानी इस्तेमाल करें, इससे घोल हल्का और झागदार बनेगा।
- इडली का घोल ज्यादा पतला हो गया हो तो थोड़ा सूजी या चावल का आटा मिलाकर ठीक कर सकते हैं।
- अगर सर्दी का मौसम है तो घोल को ओवन/माइक्रोवेव में लाइट ऑन करके रख दें, इससे खमीर जल्दी उठेगा।
- बच्चों के लिए मिनी इडली बनाएँ और ऊपर से घी डालकर सांभर में परोसें।
इडली रेसिपी का पोषण चार्ट
प्रति 2 इडली (100g)
पोषक तत्व | मात्रा | स्वास्थ्य लाभ |
कैलोरी | 120–130 kcal | ऊर्जा प्रदान करता है, वजन नियंत्रण में सहायक |
कार्बोहाइड्रेट | 25–27 g | शरीर को त्वरित ऊर्जा देता है |
प्रोटीन | 3–4 g | मांसपेशियों की मजबूती और विकास में सहायक |
फाइबर | 2 g | पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है, कब्ज से बचाता है |
फैट (वसा) | 1 g से कम | हृदय के लिए सुरक्षित, वजन घटाने में मददगार |
कैल्शियम | 10–15 mg | हड्डियों और दांतों को मजबूत करता है |
आयरन | 2 mg | खून की कमी (एनीमिया) से बचाव करता है |
मैग्नीशियम | 10–12 mg | दिमाग को शांत और तनाव कम करने में सहायक |
पोटैशियम | 40–50 mg | ब्लड प्रेशर को संतुलित रखता है |
विटामिन B1 (थायमिन) | 0.05 mg | दिमाग और नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाता है |
विटामिन B2 (राइबोफ्लेविन) | 0.04 mg | शरीर की ऊर्जा उत्पादन प्रक्रिया में मदद करता है |
विटामिन B3 (नायसिन) | 0.3 mg | पाचन और स्किन हेल्थ के लिए उपयोगी |
इडली रेसिपी से जुड़े FAQs
Q1. इडली खाने का सबसे अच्छा समय कौन-सा है
A इडली सुबह के नाश्ते में खाना सबसे अच्छा है। यह दिनभर ऊर्जा देती है और आसानी से पच जाती है। शाम को हल्के नाश्ते में भी ली जा सकती है, लेकिन रात में खाने से बचना बेहतर है।
Q2. क्या इडली वजन घटाने में मदद करती है
A हाँ। इडली एक लो-कैलोरी और लो-फैट डिश है। इसमें फाइबर और प्रोटीन भरपूर होते हैं जो पेट को लंबे समय तक भरा रखते हैं और ओवरईटिंग से बचाते हैं।
Q3. क्या डायबिटीज़ रोगी इडली खा सकते हैं
A हाँ, लेकिन सफेद चावल वाली इडली की जगह ब्राउन राइस इडली, रवा इडली, या मिलेट इडली का सेवन करें। इससे ब्लड शुगर संतुलित रहेगा।
Q4. इडली या डोसा—कौन ज्यादा हेल्दी है
A दोनों ही चावल और दाल से बनते हैं, लेकिन इडली भाप में पकती है, जबकि डोसा में थोड़ा तेल/घी लगता है। इसलिए इडली तुलनात्मक रूप से अधिक हेल्दी और सुपाच्य मानी जाती है।
Q5. क्या बच्चे और बुजुर्ग इडली खा सकते हैं
A बिल्कुल। इडली मुलायम और सुपाच्य होती है। बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोगों के लिए यह सुरक्षित और पौष्टिक भोजन है।
Q6. क्या इडली को बिना फर्मेंटेशन के बनाया जा सकता है
Aहाँ, रवा इडली बिना खमीर उठाए (फर्मेंटेशन) बनाई जा सकती है। इसमें दही और थोड़ा सोडा डालकर तुरंत स्टीम किया जाता है।
Q7. क्या रोज़ाना इडली खाना सही है
A हाँ, रोज़ाना इडली खाना सेहत के लिए अच्छा है क्योंकि इसमें फैट कम और पोषण ज्यादा होता है। लेकिन विविधता बनाए रखने के लिए सब्ज़ी या अन्य दालों से बनी इडली को भी डाइट में शामिल करना चाहिए।
Q8. इडली को और पौष्टिक कैसे बनाया जा सकता है
A घोल में गाजर, पालक, बीन्स जैसी सब्जियाँ मिलाकर या रागी, ज्वार, बाजरा जैसे मोटे अनाज मिलाकर इडली को और पौष्टिक बनाया जा सकता है।
Q9. इडली खाने से कब्ज की समस्या तो नहीं होती
A नहीं, उल्टा इडली में फाइबर और प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो पाचन को बेहतर बनाते हैं और कब्ज से बचाते हैं।
Q10. क्या इडली यात्रा में ले जाई जा सकती है
A हाँ, इडली यात्रा के लिए आदर्श भोजन है क्योंकि यह हल्की, सुपाच्य और बिना ज्यादा तैलीय होती है। सही पैकिंग में 6–8 घंटे तक ताज़ा रहती है।
Related Post
- फ्यूजन गुलाब जामुन चीज़केक रेसिपी
- पनीर टिक्का रोल और पनीर मोमो रेसिपी
- नॉन वेज बिरयानी पिज़्ज़ा रेसिपी
- मूंग दाल चिल्ला रेसिपी
- मोरिंगा ओलीफेरा
अंतिम निष्कर्ष
इडली सिर्फ़ एक भोजन नहीं बल्कि भारतीय परंपरा, स्वास्थ्य और सरलता का प्रतीक है। यह व्यंजन दक्षिण भारत से निकलकर पूरे भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है। चावल और उड़द दाल से तैयार की गई यह मुलायम और हल्की डिश स्वाद के साथ-साथ पोषण का भी बेहतरीन स्रोत है।
स्वास्थ्य की दृष्टि से – इडली कम तेल में बनने वाली, आसानी से पचने वाली और प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट एवं विटामिन से भरपूर डिश है। यह बच्चों, बुजुर्गों और डायबिटीज़ या वजन घटाने वाले लोगों के लिए भी आदर्श भोजन है।
सांस्कृतिक दृष्टि से – इडली भारतीय खाद्य संस्कृति का अहम हिस्सा है, खासकर नाश्ते में। सांभर और नारियल चटनी के साथ इसका स्वाद दोगुना हो जाता है।
व्यावहारिक दृष्टि से – इसे बनाना आसान है, स्टोरेज की सुविधा है और यात्रा के लिए भी यह बेहतरीन विकल्प है। यही कारण है कि आज इडली भारत के साथ-साथ विदेशी रेस्टोरेंट्स और कैफ़े की भी शान बनी हुई है।
संक्षेप में कहा जाए तो – इडली स्वाद, स्वास्थ्य और परंपरा का अद्भुत संगम है। अगर आप दिन की शुरुआत पौष्टिक और हल्के भोजन से करना चाहते हैं, तो इडली से बेहतर विकल्प शायद ही कोई हो।